Monday, May 9, 2011

mere khwab me aai thi

आज सुबह जो उठा तो..
होठो पे मुस्कान थी॥
और मेरी उस मुस्कान का॥
कारन मेरी जान थी..

आँखों में वो प्यार लिए॥
थोडा सा शर्माइ थी॥
कल रात को मेरे ख्वाबों में॥
वो मुझसे मिलने आई थी॥

उसके हाथ हाथों में लेकर॥
मैंने प्यार जताया था॥
सच में नहीं तो सपने॥
मई कुछ तो कह पाया था॥

उसके गलों की रौनक में॥
खुशियों की परछाई थी॥
कल रात को मेरे ख्वाबों में॥
वो मुझसे मिलने आई थी॥

खुदा में की मुझपे रहमत थी॥
उसके साथ ही जन्नत थी॥
उसकी बाते मेरी दौलत।।
उसकी हंसी ही मेरी बरकत थी॥

बस वो अपने दिल का अब तक...
हाल न बयां कर पाई थी...
कल रात को मेरे ख्वाबों में॥
वो मझसे मिलने आई थी...