हाँ कहना तो आता था॥
मै ना कहना भी सिख गया॥
महफिलों की बारिश में॥
तन्हा रहना भी सिख गया॥
दुनिया के काबू में आके॥
दिल पे काबू पाया है॥
इस जग में कैसे जीना है॥
जिन्दगी ने सिखाया है॥
मै आगे की बढ़ता रहा॥
मंजिल को पा जाने को॥
पर पीछे मुडके ना देखा॥
रास्ता वापस आने को॥
पीछे जब मुडके देखा तो॥
कोई रास्ता ना दिख पाया है॥
तुझको बस आगे बढ़ना है॥
जिन्दगी ने सिखाया है॥
लाखो मुश्किल आएगी पर॥
तुझको ना घबराना है॥
हर मुश्किल का चीर के सीना॥
मंजिल को पा जाना है॥
तेरी हर एक हार के पीछे॥
जीत का ही साया है॥
कोई मुश्किल तुझसे बड़ी नहीं है॥
जिन्दगी ने सिखाया है॥