Saturday, January 22, 2011

तुझे देख आज जैसे कुछ बढ़ स गया दीवानापन॥
तेरी एक अदा के खातिर चढ़ सा गया दीवानापन॥
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गजब की है॥
एक तो उसका भोलापन है एक मेरा दीवाना पन॥

कभी तेरी मुस्कान के खातिर अपनी जान जान लुटा देते थे॥
कभी तेरी ख्वाहिश के खातिर अपने ख्वाब मिटा देते थे॥
आज खवाब में आकर देखो..
कह सा गया दीवानापन॥
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज गजब की है॥
एक तो उसका भोलापन है एक मेरा दीवानापन॥

तेरी बातों में रहते थे हम खुद से ही गुमनाम सदा॥
तेरी धुन में चलते थे हम मंजिल से अनजान सदा॥
उस धुन में खुश भी न मिला तो॥
मिल तो गया दीवानापन॥
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज गजब की है
एक तो उसका भोलापन है एक मेरा दीवानापन


तेरी यादों में खोते खोते हस्ती हमने खो सी दी॥
तेरे खवाब आखो से निकले आँखे जैसे रो सी दी॥
तेरी और ही बढ़ते बढ़ते॥
थक सा गया दीवाना पन॥
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज गजब की है
एक तो उसका भोलापन है एक मेरा दीवानापन

अब धुन्धोगे उसे कहा पे कहा गया वो पागलपन॥
तेरी बेरुखी से शायद चुप सा गया आवारापन॥
अब कहते हो आग कहा है जबकि रख ही बाकि है॥
तेरी अदाओं के कारन देखो मर सा गया दीवाना पन॥
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज गजब की है
एक तो उसका भोलापन है एक मेरा दीवानापन

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